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जानिए क्या होता है NAAC ग्रेड, जिससे तय होती है कॉलेजों की क्वालिटी, जानिए छात्रों को क्या होता है फायदा

 NAAC ( National Assessment and Accreditation Council ) : नैक ग्रेडिंग के जरिए शिक्षण संस्थानों की सही जानकारी स्टूडेंट्स को मिलती है. जिससे उनको अपने लिए बेहतर कॉलेज चुनने में मदद मिलती है. नैक से कॉलेजों का मूल्यांकन जरूरी है. इसके बिना कोई भी कॉलेज सरकारी मदद नहीं पा सकता है.

राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) एक ऐसा संगठन है जो भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों का आकलन और मान्यता देता है। यह भारत सरकार के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा वित्त पोषित एक स्वायत्त निकाय है जिसका मुख्यालय बैंगलोर में है। इसकी स्थापना 1994 में हुई थी।

NAAC ( National Assessment and Accreditation Council )
       Image source-google 

NAAC ग्रेडिंग ( What is NAAC grading)-

NAAC यूजीसी का एक हिस्सा है. इसका काम देशभर के विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों, निजी संस्थानों में गुणवत्ता को परखना और उनको रेटिंग देना है. यूजीसी की नई गाइडलाइन के तहत सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिएशन काउंसिल से मान्यता प्राप्त करना जरूरी है. अगर किसी संस्थान ने इसकी मान्यता नहीं ली है तो उसे किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलेगा. 

 

क्या है ग्रेडिंग के नियम  (What is NAAC grading Rule)-

सबसे पहले शिक्षण संस्थान नैक की गुणवत्ता पर खरा उतरने के लिए तैयारी करते हैं. इसके बाद संस्थान नैक ग्रेडिंग के लिए आवेदन करते हैं. आवेदन करने के बाद नैक की टीम संस्थान का दौरा करती है. उसका निरीक्षण करती है. इस दौरान टीम कॉलेज में शिक्षण सुविधाएं, नतीजे, इंफ्रास्ट्रक्चर और कॉलेज का माहौल जैसी का निरीक्षण करती है. इसी आधार पर नैक की टीम अपनी रिपोर्ट तैयार करती है. इससे कॉलेज को सीजीपीए दिया जाता है और इसी के आधार पर ग्रेड जारी होते हैं.

सिर्फ 4 साल के लिए मान्य होता है NAAC ग्रेड 

NAAC के तहत कॉलेजों को 4 साल के लिए ग्रेड दिए जाते हैं. चार साल बाद फिर से रेटिंग दी जाती है. नैक ने अस्थाई ग्रेड देने की भी व्यवस्था की है. इसके तहत 2 साल के लिए ग्रेड दी जाएगी. अगर कोई कॉलेज प्रबंधन ग्रेड से संतुष्ट नहीं है तो 6 महीने में कमियों को दूर करके दोबारा निरीक्षण करवा सकता है. लेकिन इसके लिए 10 हजार का शुल्क जमा करना होगा. इसके तहत ये ग्रेड सिर्फ 2 साल के लिए मान्य होगी.

 

CGPA के आधार पर होती है NAAC की ग्रेडिंग ( NAAC grading is done on the basis of CGPA )-

यूजीसी ने ग्रेडिंग पैटर्न बदल दिया है. पहले चार श्रेणियों में कॉलेजों को रखा जाता था. लेकिन अब 8 श्रेणियों में रखा जाने लगा है. अगर सीजीपीए 3.76 से 4 के बीच है तो कॉलेज को ए प्लस प्लस ग्रेड मिलता है. इसका मतलब है कि कॉलेज सबसे बेहतर है. इसी तरह से सीजीपीए के आधार पर एक प्लस, ए, बी प्लस प्लस, बी प्लस, बी, सी और डी ग्रेड दिए जाते हैं.

स्टूडेंट्स को मिलता है NAAC ग्रेडिंग से ये फायदा ( Students get this benefit from NAAC grading)-

 

नैक रेटिंग से स्टूडेंट्स को शिक्षण संस्थान के बारे में सही जानकारी मिलती है. छात्रों को संस्थान के बारे में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान, बुनियादी ढांचा और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी जानकारी हासिल करने में आसानी होती है. नैक ग्रेडिंग के जरिए छात्र अपने लिए बेहतर कॉलेज तलाश कर सकते हैं. इतना ही नहीं, नैक ग्रेड शिक्षण संस्थानों की दी गई डिग्रियों का मूल्य भी निर्धारित करते हैं.




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